एक बालक की ईमानदारी | Moral Story in Hindi
एक छोटे से गांव में एक किसान का परिवार रहता था । उस किसान के दो बेटियां और एक बेटा था उसका नाम रवि था । लड़का स्वभाव से चंचल था, किंतु ईमानदार और सुलझा हुआ था । एक दिन वह खेलता हुआ अपने पड़ोस में चला गया ।
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किन्तु पड़ोसी कही बाहर गए हुवे थे । घर बिल्कुल खाली था । लड़के से पूरे घर में देखा किंतु उसे कोई नही मिला । गर्मी का मौसम था, इसलिए उसे प्यास लग गई । प्यास लगने के कारण वह पड़ोसी की रसोई में गया और पानी पीने लगा ।
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लड़का जब पानी पी रहा था, तब रसोई में उसे मिठाईयां रखी दिखाई पड़ी । लड़का आखिर था तो बच्चा ही ना, लड़के का मन किया की थोड़ी सी मिठाई चख लेता हूं, किंतु फिर मन में सोचा कि यह तो चोरी होगी । इसलिए वह पानी पीकर रसोई से जाने लगा ।
यह पीछे खड़ा पड़ोसी देख रहा था, और उसने बच्चे से पूछा…
पड़ोसी : क्या तुम्हे मिठाई पसंद नही हे रवि ।
बालक : पसंद तो बहुत हे अंकल ।
पड़ोसी : तो फिर तुमने मिठाई क्यों नही खाई, तुम्हे तो कोई देख भी नहीं रहा था?
बालक : अंकल अगर बिना पूछे खाता तो चोरी होती ना, और कोई देखे ना देखे किंतु मेरी आत्मा मेरा मन तो देख रहा था । वह इस की अनुमति नहीं देता है की किसी के घर में उसके बिना पूछे कुछ चीज लू।
पड़ोसी : वाह बेटे बहुत खूब तुम्हारी ईमानदारी से मन बहुत प्रसन्न हुआ । लो यह मिठाई और सदैव अपने इसी स्वभाव पर टिके रहना ।

प्रेरणा : जीवन में सदैव सत्य और ईमानदारी से चलता चाहिए चाहे कितना भी सरल अवसर मिले आसानी से कुछ गलत पाने का ।
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