Kuldevi
-
कैवाय माता मन्दिर, किणसरिया | दहिया वंश की कुलदेवी का सम्पूर्ण इतिहास | “Kewai Mata- Kinsariya”
कैवाय माता मन्दिर का इतिहास दहिया कुल कीरत दिवी म्हैर करी नित माय । आदिभवानी अम्बिका किणसरिया कैवाय ।। राजस्थान में नागौर जिले के मकराना और परबतसर तहसील के बीच त्रिकोण पर परबतसर से 6-7 की. मी. उत्तर-पश्चिम में अरावली पर्वतमाला से परिवेष्टित किणसरिया गाँव है। जहाँ एक विशाल पर्वत श्रंखला की सबसे ऊँची चोटी पर कैवायमाता का बहुत प्राचीन…
Read More » -
माता रानी भटियाणी ( जसोल माजीसा ) का इतिहास एवं चमत्कार की कथा, History of Jasol Majisa
माता रानी भटियाणी ( “भूआजी स्वरूपों माजीसा” शुरूआती नाम ) उर्फ भूआजी स्वरूपों का जन्म ग्राम जोगीदास तहसील फतेहगढ़ जिला जैसलमेर के ठाकुर जोगीदास के घर हुआ। माता रानी भटियाणी माजीसा का इतिहास भूआजी स्वरूपों उर्फ माता राणी भटियाणी का विवाह मालाणी की राजधानी जसोल के राव भारमल के पुत्र जेतमाल के उतराधिकारी राव कल्याणसिंह के साथ हुआ था। राव…
Read More » -
चामुण्डा माता : प्रतिहार, परिहार, इन्दा वंश की कुलदेवी दर्शन मात्र से होते है सब संकट दूर..
परिहार, पडिहार, इन्दा ये श्री चामुण्डा देवी जी को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते है तथा वरदेवी के रूप में गाजन माता को भी पूजते है, तथा देवल शाखा प्रतिहार ( पडिहार,परिहार राजपूत ) ये सुंधा माता को अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते है। पुराणो से ग्यात होता है कि भगवती दुर्गा का सातवा अवतार कालिका है ,…
Read More » -
क्षेमंकारी/खींवज माता : कुलदेवी सोलंकी क्षत्रिय वंश, सभी तरह के दुःख दर्द दूर करती हे यह चमत्कारी माता
सोलंकी क्षत्रिय वंश की कुलदेवी : क्षेमंकारी देवी जिसे स्थानीय भाषाओं में क्षेमज, खीमज, खींवज आदि नामों से भी पुकारा व जाना जाता है। खींवज माता के कई जगह मंदिर बने हुये है। इस देवी का प्रसिद्ध व प्राचीन मंदिर राजस्थान के भीनमाल कस्बे से लगभग तीन किलोमीटर भीनमाल खारा मार्ग पर स्थित एक डेढ़ सौ फुट ऊँची पहाड़ी की शीर्ष…
Read More » -
Jamway Mata ( जमवाय माता ) : कुलदेवी कछवाहा वंश दर्शन मात्र से संकट होते हे दूर
जयपुर के नज़दीक और रामगढ झील से एक किलोमीटर आगे पहाड़ी की तलहटी में बना Jamway Mata का मंदिर आज भी देश के विभिन्न हिस्सों में बसे कछवाह वंश के लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। जमवाय माता कुलदेवी होने से नवरात्र एवं अन्य अवसरों पर देशभर में बसे कछवाह वंश के लोग यहां आते हैं और मां…
Read More » -
चमत्कारी महाकाली भवाल माता मंदिर जो ग्रहण करती हे ढ़ाई प्याले मदिरा और जहाँ होती हर मनोकामना पूरी
महाकाली भवाल माता : राजस्थान के नागौर जिले में मेड़ता सिटी से लगभग 20-22 K.m. दक्षिण में स्तिथ एक गांव हे भवाल। यहाँ पर विक्रम संवत् की 21वीं शताब्दी के लगभग निर्मित महाकाली का एक प्राचीन मंदिर हे। यहाँ स्तिथ शिलालेख से पता चलता हे की विक्रम संवत् 1380 की माघ बदी एकदशी को इस मंदिर का निर्माण हुवा था। महाकाली भवाल…
Read More » -
तंवर/तौमर क्षत्रिय वंश की कुलदेवी : चिल्लाय माता सम्पूर्ण परिचय एवं इतिहास
क्षत्रिय समाज कालांतर में चार महत्वपूर्ण वंशो में विभक्त हुआ , सूर्यवंश , चन्द्रवंश , रिषीवंश , और अग्निवंश , चन्द्रवंश में उत्तरीभारत के महत्वपूर्ण राजवंश कुरूक्षेत्र के अधिपति प्रारम्भ में कौरव , पांडव और यादव वंश के नाम से विख्यात हुये। इन्ही पांडव वंशियो के वंशज आगे चलकर तौमर या तंवर क्षत्रिय कहलाये , संस्कृत के इतिहास कार लेखक…
Read More » -
Ashapura Mata (आशापुरा माता / शाकम्भरी माँ ) : कुलदेवी चौहान क्षत्रिय वंश
चौहान वंश की कुलदेवी शाकम्भरी / आशापुरा माता आशापुरा माता सम्पूर्ण इतिहास एवं सन्दर्भ कथा : नाडोल शहर (जिला पाली,राजस्थान) का नगर रक्षक लक्ष्मण हमेशा की तरह उस रात भी अपनी नियमित गश्त पर था। नगर की परिक्रमा करते करते लक्ष्मण प्यास बुझाने हेतु नगर के बाहर समीप ही बहने वाली भारमली नदी के तट पर जा पहुंचा। पानी पीने…
Read More » -
श्री बाण माता : कुलदेवी सिसोदिया क्षत्रिय वंश ( गोहिल वंश )
सिसोंदिया / गुहिल राजवंश की कुलदेवी “श्री बाण माता” इतिहासिक सूत्रो के मुताबिक सिसोंदिया , गहलौत राजवंश की कुलदेवी का नाम बायण माता या बाण माता इसलिये है क्यो कि जब हमारे पूर्वज सौराष्ट्र ( गुजरात ) से यहा चित्तौडगढ आये तब वहा गुजरात में नर्मदा नदी से जो पाषाण निकलते थे उनसे जो शिव जी की स्थापना होती थी ,…
Read More » -
जादौन वंश की कुलदेवी | श्री कैला माँ : जिनके दर्शन से होती हे सभी मनोकामनाए पूर्ण
राजस्थान के पूर्वी भाग में करौली राज्य यदुवंशी क्षत्रियो की वीर भूमि रही , करौली राजवंश की कुलदेवी के दो तरह के लेख मिलते है । जब यदुवंशी महाराजा अर्जुन देव जी ने 1348 ई. में करौली राज्य की स्थापना की। जादौन वंश की कुलदेवी तभी उन्होने करौली से उत्तरी दिशा में 2 या 3 कि.मी. की दूरी पर पांचना…
Read More »