Top 10 राजपुताना शौर्य के दोहे और कविताएँ, राजपूत दोहे हिंदी ……
भारतवर्ष में क्षत्रियों का इतिहास बहुत ही उज्जवल रहा हे , सदियों से राजपूतों से सैकड़ो वीर इस देश को दिए हे जिन्होंने मात्रभूमि के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन न्योछावर कर दिया था, इन्ही वीरो की वीरता पर भारत में दोहे और कविताये बहुत पहले से चली आ रही हे।
आज हम आपको ऐसी ही कुछ रॉयल राजपुताना दोहे और हिंदी कविताएँ बता रहे हे जो आज के समय में बहुत ज्यादा प्रचलित हो रही हे | आशा हे आप सभी को पसंद आएगी :-
1. झिरमिर झिरमिर मेवा बरसे मोरां छतरी छाई जी ,कलमें हो तो आव सुजाणा फौज देवरे आयी जी ।।
2. राजपुतो ने अपना एक कौल रखा,चाहते हैं सब ही राज की रक्खा ,हमारा तो मरने का ही इरादा,इसी राह पर काम आये बाप-दादा ।।
3. सौ राजन का राजा कैसा, जेठ मास कि आफताब जैसा , रण का पहाड़, दुश्मन कि भुजा उपाङ, तेग का बहादुर ढुंढाहङ का किँवाङ ।।
4. दारु मीठी दाख री, सूरां मीठी शिकार ,सेजां मीठी कामिणी, तो रण मीठी तलवार ।।
5. व्रजदेशा चन्दन वना, मेरुपहाडा मोड़ , गरुड़ खंगा लंका गढा, राजकुल राठौड़ !!
6. दारु पीवो रण चढो, राता राखो नैण , बैरी थारा जल मरे, सुख पावे ला सैण ॥
7. चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण..ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान !!
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण ..ता ऊपर सुल्तान है, मार मार मोटे तवे मत चूके चौहान !!
अबकी चढ़ी कमान ,को जानै फिर कब चढे ..जिनि चुक्केचौहान, इक्के मारे इक्क सर।।
8. रण खेती रजपूत री,कबहू न पीठ धरेह ,देश रुखाले आपणे, दुखिया पीड़ हरे !
अर्थात : युद्ध एक खेत हे जहा रजपूत वीरो की खेती होती हे जो कभी युद्ध में अपनी पीठ नही दिखाते और अपने देश की रक्षा करके अपनी प्रजा के दुखो को दूर करता है।
9. कद साख्याँ री साख रह्वली ! कद रण रजपुति री बात हुवेली!!
कद उल्टो आभो चमकलो ! कद वीरां री जमात हुवेली!!
ऊपर बैठ्यो धणी ही जाणे, कियाँ रण रणधीरां रो नेह ही हटग्यो।
10. मायड़ ऐड़ो पूत जन्म,रण म रम्ह झुंझार । शीश कट्यां धड़ लड़,बैरी शीश कटार।।
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