Johar

जौहर प्रथा क्या है? - What is Johar in Hindi. | अभिज्ञान दर्पण

Johar या जौहर का इतिहास और महत्व बहुत ही अधिक है, रियासती काल में जब विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत के राज्यों पर अधिकार करने हेतू आक्रमण किया था, तब वह राज्य जितने के बाद हारने वाले राज्य की औरतों के साथ अमानवीय व्यव्हार करते थे। युद्ध की स्थिति में जब राजा को लगता था की उनकी हार निश्चित है तो राज्य के सभी सैनिक अंतिम युद्ध यानि शाका करते थे, जिसमे या तो मृत्यु को प्राप्त होते थे या फिर विजय प्राप्त करते थे।

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जब राज्य के सभी सैनिक और राजा युद्ध में केशारियाँ बाना धारण कर शाका करने को निकल जाते थे, तब किले के अन्दर की सभी वीरांगनाये अपने सतित्व की रक्षा हेतू अग्नि स्न्नान कर जौहर किया करती थी, ताकि दुश्मन को उनकी मृत्यु के बाद उनका शरीर भी देखने को नहीं मिले ।

जौहर का इतिहास 
भारत का पहला जौहर  भारत का पहला जौहर सं 1301 को रणथम्भोर में हम्मीर देव चौहान और अल्लाउद्दीन खिलजी के मध्य हुए युद्ध के दौरान हुआ था। 
चित्तोड़ का प्रथम जौहर कब हुआ था? सं 1303 में रावल रतनसिंह और अल्लाउद्दीन खिलजी के बिच हुए युद्ध में चित्तौड़ की हार के कारण हुआ था, इस युद्ध में 16000 वीरांगनाओ ने Johar किया था। 
Johar | जौहर प्रथा क्या है?

क्यों होते थे जौहर?

जब भारत में मुस्लिम आक्रमणकारी लुटेरों का आगमन हुआ था, तब विदेशी लुटेरे किसी भी राज्य को जितने के पश्चात वहां पर लूटमार करते थे, और उस राज्य की औरतों का शील भंग कर दिया करते थे। इसलिए जब भी किसी राज्य पर आक्रमण होता था, और उस राज्य के राजा को हार निश्चित लगती थी। तब उस राज्य की औरतें अपने सतित्व और शील की रक्षा करने हेतू अग्नि स्न्नान कर जौहर किया करती थी।

FAQ’s What is Johar in Hindi?


भारत में कितने जौहर हुए हैं?

भारत में वैसे तो कई जौहर और शाका हुए है, किन्तु सबसे महत्वपूर्ण जौहर चित्तौड़गढ़ में हुआ था। उसमे 16000 क्षत्राणियो से एकसाथ जौहर किया था। आजतक चित्तौड़गढ़ में तीन, रणथम्भोर में एक, जैसलमेर में ढाई और गागरोण में दो एवं जालोर में हुआ जौहर इतिहास में अमर है।

जौहर शब्द का अर्थ क्या होता है?

राजतंत्र के समय जब भारत में विदेशी आक्रमण हुए थे, तब मुस्लिम आक्रमणकारी हारी हुई रियासत में भयंकर लूटमार करते थे। इस दौरान वह वहां की औरतों के साथ भी गलत व्यव्हार किया करते थे। इसलिए जब भी कोई विदेशी आक्रमण होते थे, और राजा को अपनी हार निश्चित लगती थी। तब राजा और सैनिक अंतिम युद्ध शाका करने निकल जाते थे, और किले के अंदर सभी रानियाँ और बाकि स्त्रियाँ अपनी आन को बचाने के लिए अग्नि स्न्नान करती थी, ताकि हार के बाद उसके साथ कोई गलत कार्य ना हो सके। इसी अग्नि स्न्नान को जौहर कहते है।

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