Kumbhalgarh Fort कुम्भलगढ़ दुर्ग का इतिहास | How to Reach | Best Time To Visit Kumbhalgarh |
कुम्भलगढ़ दुर्ग राजस्थान में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत के किलों में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखना हे। लेकिन राजस्थान को किलों और मंदिरो का राज्य कहे तो गलत नहीं होगा। क्योंकि यहाँ सैकड़ो हजारों की संख्या में किलो और मंदिरों का निर्माण हुवा था। और कुम्भलगढ़ किले की खासियत है।
उसकी 36 किलोमीटर लंबी दीवार जो भारत में सभी किलों से अधिक हे। क्योंकि यह दिवार चीन की दिवार के बाद दूसरे नंबर पर आती हे और इस दीवार को अकबर सहित कई राजाओं ने तोड़ने की कोशिश की थी।
लेकिन ऐसा कहा जाता है कि ये दीवार अभेद्य है। यह किला उदयपुर से 78 दूर समुद्र तल से 1087 मीटर ऊँचा और 30 किमी व्यास में फैला यह दुर्ग मेवाड़ के यशश्वी महाराणा कुम्भा की सूझबूझ व प्रतिभा का अनुपम स्मारक है। यह राजसमंद जिले में स्थित हैं।
Kumbhalgarh Fort ( कुम्भलगढ़ दुर्ग ) इतिहास – परिचय :
राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित यह किला सुंदरता और अपनी वास्तुकला एवं विशाल मजबूत दिवार के लिए विश्व विख्यात हे। और इसका निर्माण राणा कुम्भा ने सं 1459 में करवाया था। क्योंकि दुर्ग कई घाटियों व पहाड़ियों को मिला कर बनाया गया है। जिससे यह प्राकृतिक सुरक्षात्मक आधार पाकर अजेय रहा। सो इस किले को ‘अजेयगढ’ कहा जाता था।
क्योंकि इस किले पर विजय प्राप्त करना दुष्कर कार्य था। इस दुर्ग में ऊँचे स्थानों पर महल,मंदिर व आवासीय इमारते बनायीं गई । इस दुर्ग के अंदर 360 से ज्यादा मंदिर हैं जिनमे से 300 प्राचीन जैन मंदिर तथा बाकि हिन्दू मंदिर हैं।
इस दुर्ग के भीतर एक और गढ़ है जिसे कटारगढ़ के नाम से जाना जाता है। यह गढ़ सात विशाल द्वारों व सुद्रढ़ प्राचीरों से सुरक्षित है। इस गढ़ के शीर्ष भाग में बादल महल है व कुम्भा महल सबसे ऊपर है।
राणा कुम्भा के शासन के तहत, मेवाड का राज्य रणथंभौर से ग्वालियर तक फैला था और इस विशाल साम्राज्य में मध्यप्रदेश के साथ-साथ राजस्थान के विशाल इलाके भी शामिल थे। लगभग 84 किले अपने दुश्मनों से मेवाड का बचाव कर रहे हैं। इन 84 ऐतिहासिक व भव्य किलो में से, और राणा कुंम्भा ने 32 को स्वयं निर्माण का प्रारूप तैयार किया है।
क्योंकि राणा कुंम्भा द्वारा डिजाइन किए गए सभी किलो में से कुंभलगढ़ का किला भी है। जो मेवाड के इतिहास और कुम्भलगढ़ दुर्ग का इतिहास मे एक मील का पत्थर है।
महत्वपूर्ण तथ्यों पर नजर ( Kumbhalgarh Fort )
- Kumbhalgarh Fort की दीवार की चौड़ाई इतनी ज्यादा है कि 10 घोड़े एक ही समय में उसपर दौड़ सकते हैं।
- एक मान्यता यह भी है कि महाराणा कुंभा अपने इस किले में रात में काम करने वाले मजदूरों के लिए 50 किलो घी और 100 किलो रूई का प्रयोग करते थे जिनसे बड़े बड़े लेम्प जला कर प्रकाश किया जाता था।
- भारत के प्रथम स्वतंत्रता सैनानी महाराणा प्रताप का जन्म भी इसी किले में हुवा था।
- कुम्भलगढ़ दुर्ग को ‘अजेयगढ’ कहा जाता था क्योंकि इस किले पर विजय प्राप्त करना दुष्कर कार्य था। इसके चारों ओर एक बडी दीवार बनी हुई है। जो चीन की दीवार के बाद विश्व कि दूसरी सबसे बडी दीवार है।
- कुम्भलगढ़ के किले के चारों ओर 13 पर्वत शिखर, 7 विशाल द्वार किले की रक्षा करते हैं और विशाल घड़ी इसे और मजबूत करती हैं। बादल महल पैलेस किले के शीर्ष पर सही है।
- उदयपुर का इतिहास में लिखा हे की महाराणा उदय सिंह को भी पन्ना धाय ने इसी दुर्ग में छिपा कर पालन पोषण किया था।
- दुर्ग का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर महाराणा कुम्भा ने सिक्के डलवाये जिन पर दुर्ग और उसका नाम अंकित था।
- राजपूत इतिहास में कुम्भलगढ़ किले को विशेष स्थान प्राप्त हे।
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