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वीर दुर्गादास राठौड़ : राजपुताना का वह शेर जिनकी वीरता और शौर्य के आगे मुग़ल सेना भी नतमस्तक थी

By Vijay Singh Chawandia

Updated on:

भारत की भूमि पर अनेक  योद्धाओं और महायोद्धाओं ने जन्म लिया है। अपने दुश्मन को धूल चटाकर विजयश्री हासिल करने वाले इन योद्धाओं ने कभी अपने प्राणों की परवाह नहीं की।

हमारे इतिहास ने इन योद्धाओं को वीरगति से नवाजा, सदियां बीतने के बाद आज भी इन्हें शूरवीर ही माना जाता है.जी हाँ आज हम आपको राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौड़  के विषय में जानकारी प्रदान कर रहे हे आशा हे आपको पसंद आएगी . जिसने इस देश का पूर्ण इस्लामीकरण करने की औरंगजेब की साजिश को विफल कर हिन्दू धर्म की रक्षा की थी…..

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Durgadas Rathore

उस महान यौद्धा का नाम है वीर दुर्गादास राठौड़..वीर दुर्गादास राठौड़  भारतीय इतिहास मे एक बहुत ही अविस्मरणीय नाम है.

वीर दुर्गादास राठौड़ जी का जन्म :

 समय – सोहलवीं – सतरवी शताब्दी चित्र – वीर शिरोमणि दुर्गा दास  राठौड़ स्थान – मारवाड़ राज्य वीर दुर्गादास राठौड का जन्म मारवाड़ में करनोत ठाकुर आसकरण जी के घर सं. 1695 श्रावन शुक्ला चतुर्दसी को हुआ था। आसकरण जी मारवाड़ राज्य की सेना में जोधपुर नरेश महाराजा जसवंत सिंह जी की सेवा में थे ।

अपने पिता की भांति बालक दुर्गादास में भी वीरता कूट कूट कर भरी थी, आज हम आपको वीर दुर्गादास जी के जीवन से जुडी कुछ विशेष जानकारियों से स्वगत करा रहे हे आशा हे आपको पसंद आएगी . 

राष्ट्रवीर दुर्गादास राठौड़ से जुडी कुछ रोचक बातें : 

1. वीर दुर्गादास राठौड का जन्म मारवाड़ में करनोत ठाकुर आसकरण जी के घर सं. 1695 श्रावन शुक्ला चतुर्दसी को हुआ था।

2. आसकरण जी मारवाड़ राज्य की सेना में जोधपुर नरेश महाराजा जसवंत सिंह जी की सेवा में थे |

Durgadas

3. दुर्गादास जी ने बाल्यकाल में एक बार जोधपुर राज्य की सेना के ऊंटों को चराते हुए राईके (ऊंटों के चरवाहे) आसकरण जी के खेतों में घुस गए, बालक दुर्गादास के विरोध करने पर भी चरवाहों ने कोई ध्यान नहीं दिया तो वीर युवा दुर्गादास का खून खोल उठा और तलवार निकाल कर झट से ऊंट की गर्दन उड़ा दी थी .

4. बड़े होनेपर दुर्गादास जी जोधपुर सेना में प्रधान सेनापति बने और सम्पूर्ण जनता में अपनी वीरता का डंका बजवाया |

5. सं. 1731 में महाराजा जसवंत सिंह जी काबुल में पठानों के विद्रोह को दबाने हेतु चल दिए और दुर्गादास की सहायता से पठानों का विद्रोह शांत करने के साथ ही वीर गति को प्राप्त हो गए ।

6. जसवंत सिंह जी की मृत्यु के बाद जब ओरंगजेब की बुरी नियत जोधपुर पर पड़ी तो इसका पूर्वानुमान दुर्गादास जी लगा लिया था और अपनी कूटनीति से जोधपुर के वारिश अजीतसिंह जी को ओरंगजेब के चंगुल से निकल लाये और तुर्क ओरंगजेब के सभी षड्यंत्रों को निष्फल किया था |

7. वीर दुर्गादास मारवाड़ के सामन्तों के साथ मिलकर छापामार शैली में मुगल सेनाओं पर हमले करने थे । उन्होंने मेवाड़ के महाराणा राजसिंह तथा मराठों को भी जोड़ने के अथक प्रयास किये थे |

Rathore durgadas

8. अजित सिंह के बड़े होने के बाद गद्दी पर बैठाने तक वीर दुर्गादास को जोधपुर राज्य की एकता व स्वतंत्रता के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ी थी ,ओरंग्जेब का बल व लालच भी वीर दुर्गादास जी को नहीं डिगा सका था |

9. वीर दुर्गादास जी ने जोधपुर की आजादी के लिए कोई पच्चीस सालों तक सघर्ष किया था और अपने लम्बे संधर्ष के बाद जोधपुर को स्वतन्त्र कराकर ही डीएम लिया था |

10. अपने जीवन के अंतिम दिनों में वे मारवाड़ छोड़ कर उज्जेन चले गए वही शिप्रा नदी के किनारे उन्होने अपने जीवन के अन्तिम दिन गुजारे व वहीं उनका स्वर्गवास हुवा ।

11. वीर दुर्गादास का निधन 22 नवम्बर, सन् 1718 में हुवा था इनका अन्तिम संस्कार शिप्रा नदी के तट पर किया गया था ।

12. उनको न मुगलों का धन विचलित कर सका और न ही मुग़ल शक्ति उनके दृढ हृदये को पीछे हटा सकी थी । वह एक वीर था जिसमे राजपूती साहस व मुग़ल मंत्री सी कूटनीति थी | जिसने इस देश का पूर्ण इस्लामीकरण करने की औरंगजेब की साजिश को विफल कर हिन्दू धर्म की रक्षा की थी |

durgadas ki chhatri

13. वीर दुर्गादास जी के बारे में कहा जाता है कि इन्होने सारी उम्र घोड़े की पीठ पर बैठकर बिता दी।अपनी कूटनीति से इन्होने ओरंगजेब के पुत्र अकबर को अपनी और मिलाकर,राजपूताने और महाराष्ट्र की सभी हिन्दू शक्तियों को जोडकर ओरंगजेब की रातो की नींद छीन ली थी।

14. उनके बारे में इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने कहा था कि …..”उनको न मुगलों का धन विचलित कर सका और न ही मुगलों की शक्ति उनके दृढ निश्चय को पीछे हटा सकी,बल्कि वो ऐसा वीर था जिसमे राजपूती साहस और कूटनीति मिश्रित थी”.|

15. ये निर्विवाद सत्य है कि अगर उस दौर में वीर दुर्गादास राठौर,छत्रपति शिवाजी,वीर गोकुल,गुरु गोविन्द सिंह,बंदा सिंह बहादुर जैसे शूरवीर पैदा नहीं होते तो पुरे मध्य एशिया,ईरान की तरह भारत का पूर्ण इस्लामीकरण हो जाता और हिन्दू धर्म का नामोनिशान ही मिट जाता |

16. भारत सरकार वीर दुर्गादास राठौड़ के सिक्के और स्टाम्प पोस्ट भी जारी कर चुकी है |

Vijay Singh Chawandia

I am a full time blogger, content writer and social media influencer who likes to know about internet related information and history.

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